
बिहार के मसौढ़ी अंचल से निकसल ‘डॉगी बाबू’ के आवासीय प्रमाण-पत्र, अब देश भर में ई-गवर्नेंस के मजाक के तौर पर देखा जा रहल बा।
जेकरा सिस्टम से गरीब जनता प्रमाण-पत्र खातिर महीनों चक्कर लगावे, उहे सिस्टम एगो डॉगी के ‘रहवासी’ बना देलस।
जवन सिस्टम आम जनता के तरसा दे, उ डॉगी के सुविधा दे दे?
मसौढ़ी अंचल कार्यालय से जारी भइल ई प्रमाण-पत्र में डॉगी बाबू के फोटो, ‘डॉगी के मम्मी-पापा’ और निवास स्थान पूरा सलीके से दर्ज बा।
जइसे-जइसे ई कागज सोशल मीडिया पर वायरल भइल, त बिहार के प्रशासनीक सिस्टम के लोग हँसी के पात्र बना देल।
तीन अधिकारी छुट्टी पर भेजल गइल, लेकिन सवाल बाकी बा
जांच में सामने आइल कि तीन कार्यपालक सहायक – मिंटू, अनिल अउर आशीष कुमार – ई गलती के जिम्मेदार बाड़न।
तीनों पर निलंबन के संग आपराधिक मुकदमा भी दर्ज भइल।
पटना डीएम डॉ. त्यागराजन खुद IT टीम के संग पहुंचले मसौढ़ी में – हाल पूछे ना!
डॉगी बाबू अकेले ना, डोगेश, फोन और पैशन प्रो भी लाइन में बा!
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नवादा: डोगेश बाबू के आवेदन – माता: डोगेश के मम्मी, पिता: डोगेश के पापा।
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मधेपुरा: नाम – फोन, पिता – मोबाइल, माता – बैटरी।
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समस्तीपुर: नाम – पैशन प्रो, पिता – अपाचे एजेंसी, माता – पेट्रोल।
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मोतिहारी: फोटो – भोजपुरी स्टार मोनालिसा, नाम – सोनालिका ट्रैक्टर, पिता – स्वराज, माता – कार देवी।
लगता बा कि प्रमाण-पत्र विभाग अब डिजिटल कॉमेडी क्लब में बदल चुकल बा।
डिजिटल सुधार या डिजिटल साजिश?
राज्य सरकार SIR योजना के तहत डिजिटल क्रांति के ढोल पीट रहल बिया, लेकिन बिना सुरक्षा के सिस्टम में शरारती तत्व सेंध मार के पूरा सरकार के मजाक बना देले बा।
सवाल ई बा कि कार्रवाई काहे बस छोट कर्मचारियों तक रुक जाई? डिजिटल गैंग के असली मास्टरमाइंड के धरावल जाई?
अब ठोस कदम उठावे के जरूरत
डिजिटल इंडिया के नाम पर अगर आवासीय प्रमाण-पत्र अब “मोनालिसा ट्रैक्टर” के मिल रहल बा, त सवाल केवल सिस्टम पर ना, सोच पर भी उठे के चाहीं।
सरकार के चाहीं कि एकबारगी पूरा सिस्टम के Audit करावे, नाहीं त अगिला आवेदन ‘स्पाइडरमैन के ताऊ’ के भी आ सकेला!
सिस्टम बोले – सब कछु संभव बा!
बिहार में डिजिटल सेवा के मजाक बन गइल बा।
डॉगी बाबू त बस शुरुआत बाड़न, अब देखे के बा कि का अगला सर्टिफिकेट छतरी छाप भूतनाथ बाबू के नांव से ना छप जाई!